शहीद कैप्टन बृजेश थापा।

सिलीगुड़ी । जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए एक कैप्टन  ब्रिजेश  थापा  समेत सेना के चार जवान आज शहीद हो गए. दार्जिलिंग के लेबोंग निवासी कैप्टन ब्रिजेश थापा 27 साल की उम्र में ही वीरगति प्राप्त  हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर के डोडा से चार घंटे दूर एक पहाड़ी जंगल में सोमवार रात आतंकियों ने एक ऑपरेशन के दौरान हमला किया। जवानों ने उग्रवादियों पर जवाबी कार्रवाई की.और आखिर में दोनों पक्षों की लड़ाई में ब्रिजेश और चार अन्य जवान मौके पर ही शहीद हो गए. ब्रिजेश थापा की शहादत की खबर सेना के अधिकारियों द्वारा उनके परिवार को रात 11 बजे दी गई. ब्रिजेश का पार्थिव शरीर बुधवार को विशेष विमान से सिलीगुड़ी के बागडोगरा एयरपोर्ट लाया जाएगा।


पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, कैप्टन ब्रिजेश थापा के पिता कर्नल भुवनेश थापा 2014 में सेना से सेवानिवृत्त हुए थे। वर्तमान में वह दार्जिलिंग के लेबोंग में एक्स सर्विसमैन हेल्थ सर्विस स्कीम में कार्यरत हैं।  ब्रिजेश का जन्म लेबोंग में हुआ था, उन्होंने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा दार्जिलिंग में की, लेकिन अपने पिता की सेना में कहीं और पोस्टिंग के कारण उन्होंने अपनी अधिकांश स्कूली शिक्षा राज्य के बाहर की। अपनी अंतिम उच्च शिक्षा मुंबई में पूरी की। वहां के कॉलेज से बी.टेक पूरा करने के बाद वह कंबाइंड डिफेंस सर्विस परीक्षा में बैठे। 2018 में, उन्होंने रक्षा सेवा की शॉर्ट सर्विस कमीशन परीक्षा उत्तीर्ण की और 2019 में सेना में शामिल हो गए। वह दो साल के लिए 10 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। फिर उन्हें अतिरिक्त रेजिमेंटल ड्यूटी के लिए भारतीय सेना की विशेष विंग 145 आर्मी एयर डिफेंस के तहत जम्मू और कश्मीर में डोडा सेना छावनी में स्थानांतरित कर दिया गया। ब्रिजेश थापा वहां ए-कंपनी कमांडर थे। डोडा से लगभग चार घंटे की दूरी पर अपने सैनिकों के साथ एक अभियान पर जाते समय उन पर अचानक हमला हो गया। उस हमले में ब्रिजेश की जान चली गई. कैप्टन ब्रिजेश थापा का पार्थिव शरीर बुधवार को सिलीगुड़ी पहुंचेगा तो बागडोगरा आर्मी कैंप में उन्हें राष्ट्रीय मर्यादा के साथ सलामी दी जाएगी। वहां से उनके पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से लेबोंग की पैतृक भूमि पर ले जाया जाएगा।
ब्रिजेश थापा के पिता कर्नल भुवनेश थापा ने बताया कि ब्रिजेश को बचपन से ही सेना से काफी लगाव था।
मुठभेड़ में शहीद हुए कैप्टन बृजेश थापा के पिता कर्नल भुवनेश थापा (सेवानिवृत्त) ने अपने बेटे को याद करते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके बेटे ने देश और देश की सुरक्षा के लिए कुछ किया है.
कर्नल भुवनेश थापा (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सरकार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. जब मुझे बताया गया कि वह (बेटा) अब नहीं रहा तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ. वह बचपन से ही भारतीय सेना में जाना चाहता था. सेना की ड्रेस पहनकर घूमता था. इंजीनियरिंग करने के बाद भी वह सेना में जाना चाहता था. उसने एक बार में ही परीक्षा पास कर ली और सेना में भर्ती हो गया था. मुझे गर्व है कि मेरे बेटे ने देश और देश की सुरक्षा के लिए कुछ किया है.
कैप्टन बृजेश थापा के पिता ने आगे कहा कि दुख की बात यह है कि हम उससे दोबारा नहीं मिल पाएंगे, अन्यथा मुझे खुशी है कि उसने अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.
कैप्टन थापा की मां नीलिमा थापा ने कहा कि उन्हें अपने बेटे के शहीद होने की खबर रात को 11 बजे मिली थी. नीलिमा थापा ने नम आंखों से आगे कहा, वह बहुत ही अच्छा लड़का था. हमेशा से सेना में जाना चाहता था. हम उन्हें बताया करते थे कि सेना में जीवन कठिन है. मुझे अपने बेटे पर बहुत गर्व है, जिसने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. सरकार कार्रवाई करेगी. दुर्भाग्य से, हमने अपना बेटा खो दिया.”
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में कैप्टन बृजेश थापा  समेत सेना के चार जवान शहीद हो गए. राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने सोमवार देर शाम देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई थी.