ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्तर बंगाल के तराई और डुआर्स का जलवायु धीरे-धीरे बदल रहा है । इस विषम परिस्थिति में  उत्तर बंगाल के चाय उद्योग को नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। खुद्र चासी समिति  (छोटे किसान संघ ) के अनुसार    चाय की खेती के लिए 30 से 33 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना जाता है।लेकिन वर्तमान में उत्तर बंगाल के चाय बागान इलाके में तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस है। 150 से 250 सेमी वर्षा की भी आवश्यकता होती है। लेकिन ऐसी बारिश अभी नहीं हो रही है . मौसम में बदलाव के कारण चाय के पौधे में कई समस्याएं दिख रही हैं। प्रतिकूल मौसम के  कारण  छोटे और मझोले चाय उत्पादकों और बड़ी कंपनियों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. चाय उद्योगपतियों का मानना है कि यह पहली बार है कि उत्तर बंगाल और जलपाईगुड़ी में इतनी गर्मी पड़ी है.उनका मानना है कि अगर भविष्य इसी तरह गर्मी   बढ़ती रही तो पूरी दुनिया को  चाय के  स्वाद से वंचित रहन पड़ेगा  भुगोल मंच के सदस्यों ने भी इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर पर्यावरण की बेरुखी पर ध्यान नहीं दिया गया तो पूरी दुनिया में भीषण गर्मी की मात्रा बढ़ जायेगी, जिसका सीधा असर चाय  उद्योग पर पड़ेगा।  हालाँकि, यह कहा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण निकट भविष्य में उत्तर बंगाल में चाय उद्योग को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।