भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने अपनी हार और पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की खराब प्रदर्शन का कारण सांगठनिक कमजोरी बताया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व के द्वारा संगठन को मजबूत करने पर जोर नहीं दिया गया, जिसके कारण बूथ स्तर पर सक्रिय नहीं हो सके। अपनी हार का एक कारण उन्होंने अपनी लोकसभा क्षेत्र बदलने को भी बताया। एनडीए की सहयोगी पार्टियों के द्वारा स्पीकर सहित अन्य पदों की डिमांड करने पर उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार भाजपा के पुराने सहयोगी रहे है। क्षेत्रीय पार्टियों के द्वारा अपनी सुविधा के अनुसार मांग करती इसमें कोई नई बात नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह इस मामले को अच्छी तरह से देख लेंग।
इसके साथी पश्चिम बंगाल में हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि राज्य में कई जगहों पर भाजपा कर्मियों पर हमले हो रहे है। उनके घरों में तोड़फोड़ की जा रही ह। काफी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय में शरण लिए हुए है। हिंसा को हर हाल पर रोका जाएगा, इसके लिए जो भी कोशिश करनी होगी भाजपा की तरफ से की जाएगी।
। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा अपनी पकड़ को बरकरार रख पाने में क्यों नाकाम रही, इसके कारणों का पता लगाएंगे। उन्होंने बर्दवान-दुर्गापुर सीट पर पूरी मेहनत से चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हो सके। घोष 2019 में मेदिनीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे लेकिन इस बार उन्हें बर्दवान – दुर्गापुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आजाद के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा। यह पूछने पर कि क्या सीट बदला जाना भी उनकी हार का एक कारण हो सकता है, घोष ने कहा कि सब कुछ संभव है। सभी फैसलों के निहितार्थ होते हैं। बंगाल की जनता तय करेगी कि क्या सही है और क्या गलत। जब पार्टी ने मुझसे कहा तो मैंने पूरी शिद्दत से उसे अंजाम दिया। मैंने पूरी ईमानदारी से चुनाव लड़ा। मैं एक अनुशासित कार्यकर्ता हूं। मेरी पार्टी ने मुझसे चुनाव लड़ने को कहा, मैंने लड़ा। उन्होंने कहा, ”बर्दवान एक मुश्किल सीट थी और जो लागे वहां गए, वे स्वीकार करेंगे कि सीट पर चुनौती थी। जिन लोगों ने मुझे इस सीट के लिए नामांकित किया, वे इस पर विचार करेंगे।